शुक्रवार, 22 सितंबर 2017

हेमकुंड साहिब यात्रा भाग 7: बद्रीनाथ धाम दर्शन और घर वापसी


बद्रीनाथ मंदिर का आकर्षक दृश्य

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17 जून,2016

सुबह आराम से सो कर उठे।रात को देर तक बरसात होती रही थी।हम लोगों ने अपनी बरसाती वगैरह सूखने के लिए सीढ़ियों के पास टांग दी थी।उठकर सबसे पहले शौच आदि से निवृत हुए उसके बाद जिसे नहाना था वो नहा लिया।मैं नही नहाया क्यों की मैं रात को नहा कर ही सोया था।लगभग साढ़े नौ बजे गुरुद्वारे से अलविदा हुए और ऊपर सड़क पर आ गए जहाँ से हमें हरिद्वार या ऋषिकेश की बस मिलनी थी।आज घर के लिए वापिस लौटना था।बस के मिलने वाली जगह पहुँच कर चर्चा हुई कि यहां से बद्रीनाथ धाम भी नजदीक है क्यों न वहां भी चला जाए।अजय ने स्पष्ट मना कर दिया कि नही जाना।आगे कभी देखेंगे।चलो कोई बात नही आपका आदेश सर आँखों पर।सड़क पर खड़े खड़े कई देर हो गयी।हरिद्वार या ऋषिकेश की कोई बस नही आई।जो भी बस आती बिल्कुल भरी हुई ही आती।एक भाई ने बताया यहां से हरिद्वार और ऋषिकेश के लिए कोई बस बनकर नही चलती।जो भी जाती है वो बद्रीनाथ से ही आती है।

कुछ देर बाद हमें उसकी बात अच्छी तरह समझ आ गई।अजय को भी आ गई।उसके बाद फैसला ये हुआ की हमें जिस भी तरफ का साधन पहले मिलेगा उसी तरफ चल पड़ेंगे।

15-20 मिनट के बाद एक पिकअप आती हुई नजर आई।हमारे इशारा करने ड्राइवर गाडी रोक ली।वो बद्रीनाथ ही जा रहा था।कहने लगा आपको पीछे डिग्गी में खड़ा होना पड़ेगा और मैं गाडी बहुत तेज़ चलाता हूँ।देखलो कभी आप लोगों को दिक्कत हो।हमनें कहा भाई कोई दिक्कत नही है तू बस हमें ले चल।ड्राइवर के साथ एक औरत भी थी जो आगे बैठी थी।
गोविंदघाट से निकलने के बाद तो नज़ारे ही बदल गए।अलग ही तरह के पहाड़ नज़र आ रहे थे।अलकनन्दा भी पहले वाली नही लग रही थी।रास्ते में कई जगह भूस्खलन का असर साफ़ नज़र आ रहा था।ड्राइवर ने गाडी बहुत तेज़ गति से भगा रखी थी।सच पूछो तो बहुत मजा आ रहा था।जब कोई मोड़ आता तो थोड़ा सा डर भी लगता।

गोविंदघाट से बद्रीनाथ लगभग 25 किलोमीटर की दुरी पर है।रास्ते में पांडुकेश्वर,लम्बगढ़ और हनुमान चट्टी नाम की जगहें आई।ड्राइवर ने लगभग पौने घण्टे में हमें बद्रीनाथ बस स्टैंड से लगभग आधा किलोमीटर पहले छोड़ दिया।वहां से हम पैदल बद्रीनाथ मंदिर के लिए चल पड़े।लगभग आधे घण्टे में मंदिर पहूंच गये।बाहर गर्म पानी के स्त्रोत है और साथ ही अलकनन्दा बिल्कुल मंदिर के आगे से बहती है।यहाँ आकर बहुत अच्छा लग रहा था।यहाँ के प्राकृतिक दृश्य देखकर बस यहीं रहने का मन कर रहा था।आसमान को छूते ऊँचे पर्वत अपनी और बुला रहे थे।

मंदिर में ज्यादा भीड़ नही थी।लगभग आधे घण्टे में सभी ने दर्शन कर लिए।मंदिर के अंदर कैमरा प्रयोग करने की अनुमति नही थी।बद्रीनाथ धाम बाहर से देखने पर बहुत खूबसूरत लग रहा था।जो हमनें अब तक तश्वीरों में देखा था वो सच में और सामने देख कर बहुत अच्छा लग रहा था।बहुत से लोग गर्म पानी में नहा रहे थे।नहाने के लिए वहां विशेष स्नानागार बना रखे हैं।

दर्शन के बाद थोड़ी देर बाहर के नजारे लिए और उसके बाद वापिस बस अड्डे की और चल पड़े।बद्रीनाथ से 3 किलोमीटर आगे भारत का अंतिम गाँव माणा है।वो भी देखने का मन था पर समय की कमी को देखते हुए माणा को भविष्य के लिये टाल दिया।बस अड्डे पहुँचते हमें ऋषिकेश के लिए बस मिल गयी।परिचालक महोदय ने बताया कि रात्रि विश्राम श्रीनगर में होगा।कारण पूछने पर उसने बताया कि उत्तराखण्ड में रात को गाडी चलाने पर रोक है।एक बजे के करीब बस चल पड़ी।उन्हीं आकर्षक दृश्यों का आनन्द लेते हुए रात को 9 बजे के करीब श्रीनगर
पहुँच गये।श्रीनगर में 500 रूपये में कमरा मिल गया।खाना खाया और सो गए।सुबह नहा धोकर 5 बजे उस जगह पहुँच गये जहाँ बस मिलनी थी।सवा 5 बजे बस चल पड़ी।तारीख बदल कर 18 जून हो गयी थी।बस ने साढ़े 9 बजे के करीब ऋषिकेश पहुँचा दिया।

ऋषिकेश से बस पकड़ी और हरिद्वार आ गए।हरिद्वार आने के बाद खाना खाया गया।मैंने और अनिल ने यहां थोड़ी से खरीददारी भी की।एक बजे वहां से हमें हिसार के लिए बस मिल गयी।रात 10 बजे के करीब हिसार पहुंचे।और वहां से रेलगाड़ी द्वारा आधी रात को उकलाना पहुँच चुके थे

बद्रीनाथ से आधा किलोमीटर पहले जहाँ हमें गाडी वाले ने उतारा था

थोड़ा दूर से दिखाई देता बद्रीनाथ धाम

विनोद और बद्रीनाथ मंदिर

बद्रीनाथ के प्राकृतिक दृश्य



पाँच मुसाफिर

यात्रा सम्पन्न....

6 टिप्‍पणियां:

SANDEEP PANWAR ने कहा…

बद्रीनाथ दर्शन होने थे इसलिए सीट कैसे मिलती...
घुमक्कड़ी किस्मत से मिलती है।

Pratik Gandhi ने कहा…

सच में घुमक्कड़ी की कोई मंजिल नहीं है..बढ़िया पोस्ट

संजय शर्मा'पारीक' ने कहा…

आपकी बात बिल्कुल सही है भाई साहब।अगर हमें हरिद्वार ऋषिकेश वाली बसों में सीट मिल जाती तो बद्रीनाथ जाना नही होता।

संजय शर्मा'पारीक' ने कहा…

वास्तव में कोई मंजिल नही है।योजना कहीं की बनती है और चले कहीं जाते हैं।

Unknown ने कहा…

Bdiya vritaant

Unknown ने कहा…

Sathiyo ke sahyog ke liye dhanyavad