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रविवार, 18 दिसंबर 2016

वृन्दावन धाम एवम् गोवर्धन पर्वत यात्रा भाग 1



साल 2016,नवम्बर माह का दूसरा दिन,मैं रात का सफर करके सुबह तावडू पहुंचा और वहां से स्कूल पहुँच गया।रात की नींद आँखों में तारी हो रही थी सोचा स्कूल की छुट्टी के बाद कमरे पर जाकर जम कर सोऊंगा।छूट्टी के बाद जब कमरे पर पहुंचा तो लगभग 3 बज रहे थे।विक्की बाबू अपने फ़ोन में मग्न थे।इस समय मुझे नींद नही आ रही थी जाने कहाँ गायब हो गई थी।मैंने विक्की से कहा कि चल आज शिवाय देख कर आते हैं अजय देवगन की।हम फिल्म देखने का कार्यक्रम बना ही रहे थे कि कमरे पर राममेहर और नवीन का भी आना हो गया।और ऊँची आवाज में हंसी मजाक शुरू हो गया।तभी हमारी आवाजें सुनकर जागलान साहब भी आ गए जो अभी अभी स्कूल से आये थे।आते ही उन्होंने ठेठ हरियाणवी लहजे में कहा "क्यूँ गोरधन सर प ठा राख्या है"।
      ये सुनते ही विक्की ने कहा फिल्म को छोड़ो आज गोवर्धन ही चलते है और उसी समय एकदम चलने का कार्यक्रम बन गया।
           लगभग पौने चार बजे जागलान साहब की मारुती मेगेनर तावडू नूह मार्ग पर दौड़ रही थी पांच मुसाफिरों के साथ।इस सफर में मेरे साथी थे राजेश जागलान,विक्की रांगी,राममेहर,नवीन और जागलान साहब की मारुती मेगेनर।मेरे ये सभी साथी अध्यापक हैं और हम कमरे पर एक साथ ही रहते हैं।
         नूंह पहुँचने के बाद गाडी होडल मार्ग पर बढा दी।मेरे गले में कुछ दिक्कत थी जिसके चलते उटावड गाडी रोक कर एक मेडिकल स्टोर से दवाई ली गई।होडल से निकलने के बाद हम दिल्ली मथुरा हाईवे पर चढ़ गए और गाडी की स्पीड भी बढ़ गई।कुछ दूर चलने पर रास्ते में पड़ने वाले मुरथल होटल पर चाय बिस्कुट खाए गये।चाय पीने के बाद आगे बढ़ गए।इस समय लगभग सवा पांच बज रहे थे।गाडी पहले राममेहर चला रहा था और अब स्टेयरिंग जागलान साहब के हाथ में था।


होटल मुरथल पर जल पान करते हुए
होटल मुरथल पर खड़ी हमारी गाडी
वृन्दावन की चकाचौंध



लगभग सवा छः बजे हम वृन्दावन पहुँच गये और गाडी पार्किंग में लगा कर पहले बांके बिहारी मंदिर में गये।यहां जब प्रसाद ले रहे थे तो जागलान साहब ने मुझसे कहा कि 51-51 रूपये का प्रसाद पांच जगह ले लेना।मैंने कहा भाई साहब मैं तो पूजा करूँगा नही इसलिए 4 ही जगह ठीक रहेगा।जागलान साहब ने कहा तो तू यहां आके भगवान की तौहीन कर रहा है।मैंने कहा भाई वो बात नही है दरअसल मैं निर्गुण ईश्वर का उपासक हूँ।वो मान गए।क्योंकि भगवान कृष्ण में जागलान साहब की बहुत ज्यादा आस्था है इसलिए उन्हें मेरा पूजा करना बहुत अजीब लगा।15 मिनट में सभी दर्शन करके बाहर आ गए।मंदिर के अंदर फोटो लेने की सख्त मनाही थी।भीड़ भी उस दिन ज्यादा नही थी।उसके बाद घर के लिए प्रसाद खरीदा गया।तत्पश्चात एक दुकान पर एक एक प्लेट टिक्की खाई गई।उसके बाद खरीददारी का दौर चला।
     लगभग सवा आठ बजे हमने गोवर्धन पर्वत के लिए प्रस्थान कर दिया।अँधेरा हो चूका था इसलिए रास्ते में कुछ नजर नही आ रहा था और दिवाली पे हुआ प्रदूषण स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहा था।लगभग साढ़े नौ बजे हम गोवर्धन पहुँच गये सब से पहले हम मानसी गंगा पहुंचे।नियम के अनुसार तो यहां स्नान करके यात्रा शुरू करनी होती है।पर ठंड को देखते हुए मुंह हाथ धोकर काम चला लिया गया।उसके पश्चात् गाडी में ही गोवर्धन पर्वत और राधा कुंड की 21 किलोमीटर की परिक्रमा की गई।परिक्रमा की समाप्ति के पश्चात लगभग 11 बजे हम वापिस चल पड़े।आते वक्त होडल के बाद हमने कुण्डली मानेसर पलवल हाईवे का प्रयोग किया।रास्ते में सरपंच होटल पर खाना भी खाया गया।रात को लगभग सवा दो बजे सभी तावडू अपने कमरे पर पहुँच चुके थे।
इस यात्रा की तश्वीरें देखने के लिए  यहाँ क्लिक करें। 



शनिवार, 17 दिसंबर 2016

वृन्दावन धाम एवम् गोवर्धन पर्वत यात्रा भाग 2

इस यात्रा वृत्तांत को शुरू से पढ़ने के लिएयहाँ क्लिक करें।

इस यात्रा में ज्यादातर तश्वीरें रात के समय ली गई हैं इसलिए हो सकता है कि स्पष्टता न होने की शिकायत नज़र आए।इसके लिए क्षमा चाहूंगा।

प्रसाद की दूकान पर विक्की महाराज
मानसी गंगा के स्थान पर हम पांच
मानसी गंगा
एक सच्चा भगत जोत लगाते हुए
शुभ समाप्ति।