बुधवार, 10 जनवरी 2018

अजमेर-पुष्कर यात्रा-1

जलमहल के आस पास कहीं

दिसम्बर 2017 का अंतिम दूसरा दिन शाम के 5 बजने को है।
मैं अपना बैग पैक कर चुका हूँ।
बैग में मेरे पहनने के 2 जोड़ी कपड़ो के अलावा सफर में काम आने वाली सभी वस्तुएं डाली जा चुकी है।एक गर्म चादर हमेशा बैग में रहती ही है।एक प्लास्टिक के बक्से में बाजरे की रोटियों का चूरमा भी डाला गया है।जो रास्ते मे खाने के काम आएगा।मेरा गांव बिराण राजस्थान राज्य के जिला हनुमानगढ़ में पड़ता है।हमारी तहसील तो भादरा है पर भादरा की उपेक्षा पड़ौसी राज्य हरियाणा का कस्बा मंडी आदमपुर जो कि तहसील भी है नजदीक पड़ता है।जहां हमारी तहसील भादरा 30 किलोमीटर है वहीं मंडी आदमपुर लगभग 14 किलोमीटर है।

आज मुझे अपने कुछ दोस्तों के साथ अजमेर पुष्कर की यात्रा के लिए निकलना है।रात्रि साढ़े ग्यारह बजकर पांच मिनट पर हिसार रेलवे स्टेशन से जयपुर के लिए एक सवारी गाड़ी जाती है।उसी में हम जयपुर तक जाएंगे।लगभग साढ़े 5 बजे मैं घर से चल पड़ा।छोटे भाई राकेश  ने मुझे गाड़ी से लगभग सवा छः बजे आदमपुर शहर से बाहर अग्रोहा मार्ग पर छोड़ दिया।वहां से एक ऑटो मिला जिस में अग्रोहा मोड़ पहुंचा और वहां से रोडवेज की बस मिल गयी हिसार के लिए।लगभग सवा 8 बजे मैं हिसार रेलवे स्टेशन पर था।इस यात्रा पर जाने वाले साथियों में से एक साथी शमशेर हिसार ही था मैंने उसके पास फोन कर दिया कि स्टेशन आ जाए।शमशेर के पास फोन करने के बाद मैं शेव करवाने लग गया।शेव करवाने के थोड़ी देर बाद शमशेर भी पहुँच चुका था।शेष 4 मित्र उकलाना से आने है उनकी गाड़ी लेट होने की वजह से वो लोग लगभग 
साढ़े दस बजे तक आएंगे।

स्टेशन से बाहर आकर मैंने और शमशेर ने चाय पी और जयपुर के लिए छः टिकट भी ले ली।लगभग 10 बजे के करीब गाड़ी भी प्लेटफॉर्म पर लग गयी।हमनें सभी साथियों के लिए सोने हेतु सीट रोक ली।ज्यादा दिक्कत भी नही हुई क्यों कि उस समय तक ज्यादा यात्री नही थे।लगभग साढ़े दस बजे उकलाना से आने वाली गाड़ी भी आ गयी।साथ ही शेष चारों यात्री अनिलअजय , विनोद  और  कुलदीप उर्फ मोंटू भी आ गए।सभी ने गाड़ी में अपना सामान रखा और उसके बाद शमशेर को छोड़कर बाकी सभी साथी खाना खाने के लिए स्टेशन से बाहर एक होटल पर पहुँचे।खाना खाने के बाद सभी वापिस गाड़ी में अपनी सीटों पर आ गए।मुझे और अजय को छोड़कर सभी ऊपर वाली सीटों पर सो गए।


सर्दी ज्यादा होने की वजह से मुझे ऊपर वाली सीट पर सोना ठीक नही लगा।शायद अजय ने भी यही सोचा होगा।मैं अजय एक दूसरे के सामने खिड़की वाली सीट पर बैठे हुए थे।गाड़ी चलने से थोड़ी देर पहले 2 लड़के और एक आदमी हमारे कूपे में हमारे पास आकर बैठ गए।गाड़ी चलते ही बातों बातों पता लगा कि दोनों लड़के कश्मीर राज्य से हैं।वो लोग कश्मीर के अनन्तनाग जिले के रहने वाले थे।दोनों का व्यवहार काफी अच्छा था वो लोग सेब का व्यापार करते है और उसी की सिलसिले में उनका हरियाणा आना हुआ था।अब वो लोग अजमेर दरगाह शरीफ में माथा टेकने जा रहे थे।एक का नाम जाहिद और दूसरे का नाम सोहैल था।उनसे काफी बातें हुईं और कश्मीर के हालातों पर भी बात हुई।उन लोगो ने हमें अनन्तनाग आने की दावत दी है।देखो कब जाना होता है।फोन नम्बर का भी आदान प्रदान हुआ।फेसबुक पर भी दोस्ती को बढ़ाया गया।बातों बातों में नींद आने लगी।चादर ओढ़ी और सो गए।सुबह साढ़े पांच बजे के करीब गाड़ी अलवर पहुंची।उसके बाद तो गाड़ी बहुत से स्टेशनों पर कई कई देर रुककर चल रही थी।ये सब दूसरी गाड़ियों को क्रॉसिंग देनेे या उन्हें आगे निकालने के लिए हो रहा था।
गाड़ी लगभग साढ़े दस बजे जयपुर पहुंच गई।

दोनों कश्मीरी साथी स्टेशन पर ही रुक गए।उन्हें अजमेर जाना था।शायद कोई गाड़ी इस समय अजमेर के लिए हो।ये जानने के लिए वो लोग पूछताछ खिड़की की ओर बढ़ गए।जबकि हम लोग सिंधीकैम्प बस अड्डा जाने के लिए स्टेशन से बाहर आ गए।मिनीबस द्वारा हम लोग बस अड्डे पहुंचे और एक होटल में दो कमरे ले लिए।


जयपुर रेलवे स्टेशन पर कश्मीरी मित्रों के साथ

आमेर दुर्ग

जलमहल:अनिल और विनोद

आमेर:अनिल,मोंटू और शमशेर

जलमहल जयपुर

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1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

Mujhko toh Lekar Saath Gaye nahi dost Kahin ke