सन् 2016 ,गर्मियों की छुट्टियां होने से काफी समय पहले ही दोस्तों के साथ कहीं घूम कर आने के बारे में चर्चाएं होनी शुरू हो चुकी थीं।कई योजनाएं बनी,वार्ताओं का दौर कई बार चला परन्तु परिणाम शून्य।आखिरकार दो स्थानों के बारे में सभी एकमत हो गए।या तो धर्मशाला और मैक्लोडगंज अथवा हेमकुण्ड साहिब।
अंत में हेमकुण्ड साहिब को विजयश्री प्राप्त हुई।आखिरकार वो शुभ दिन आ ही गया।दिन था 12 जून 2016,वार इतवार।उकलाना से शाम को 7 बजे एक सवारी गाडी हिसार जाती है जो लुधियाना से आती है।इसी गाडी से हमने हेमकुण्ड यात्रा का शुभारम्भ किया।गाडी 7 बजे चल कर लगभग एक घण्टे में हिसार पहुंचा देती है।
इस यात्रा में मेरा साथ चार साथियों अनिल अनेजा,अजय भारद्वाज,विनोद इन्दौरा और शमशेर लौरा ने दिया।शमशेर को छोड़ कर शेष चारो ने कई यात्राएं एक साथ की हैं।इस यात्रा में जाने वाले हम सभी साथियो की एक खास बात तो ये है की सभी अध्यापन व्यवसाय से जुड़े है और दूसरी खास बात ये है कि सभी की एक दूसरे के प्रति समझ काफी बेहतर है।
सभी मित्र लगभग छः बजे के करीब अपनी अपनी बैग त्यार करके सिगमा कोचिंग सेंटर पहुँच गए।ये वो सेण्टर है जहां सभी साथी मुझे छोड़कर बच्चों को कोचिंग देने का काम करते हैं।सरकारी मास्टर बनने से पहले मेरी कर्मस्थली भी यही जगह थी।
लगभग साढ़े छः बजे सभी साथी स्टेशन के लिए निकल पड़े और दस मिनट बाद उकलाना रेलवे स्टेशन पर थे।गाडी सही समय पर आई और रवाना भी ठीक समय पर हुई।ज्यादा भीड़ न होने की वजह से हमें सीट आसानी से मिल गई।बातों बातो में एक घण्टे का सफर कैसे कटा पता ही नही चला।लगभग सवा आठ बजे हम हिसार स्टेशन पर थे और आधे घण्टे बाद हिसार बस अड्डे पर।
यहाँ से हमे हरिद्वार के लिए बस पकड़नी थी जो गंगानगर से चलकर सुबह 5 बजे के करीब हरिद्वार पहुँचती है।साढ़े 9 बजे बस आ गई और हमें सीट भी आसानी से मिल गई।राजस्थान परिवहन की बसों की सबसे बड़ी समस्या ये है कि इनमे आदमी चैन से नही बैठ सकता।बस 10 बजे के करीब हिसार से चल पड़ी।गर्मी के मारे सभी का बुरा हाल था बस चलने पर कुछ चैन नसीब हुआ।रात को 3 बजे के आसपास बस मुजफ्फरनगर की पास किसी होटल पर चाय पानी के लिए रुकी। यहाँ हमने चाय पी।15-20 मिनट के बाद यहाँ से बस चल दी।उंघते हुए लगभग साढ़े पांच बजे हम हरिद्वार पहुँच गए।
उकलाना रेलवे स्टेशन
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शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2016
हेमकुण्ड साहिब यात्रा भाग 1: उकलाना से हरिद्वार
शनिवार, 21 नवंबर 2015
मेरा यात्रा ब्लॉग
नमस्कार दोस्तों मैंने आज अन्तहीन राहें नाम से अपना यात्रा ब्लॉग बनाया है। मेरा ये ब्लॉग बनाने का उद्देश्य मेरी की गई यात्राओं एवं उन यात्राओं के अपने अनुभवों को आप के साथ सांझा करना है।आप का प्रोत्साहन मुझे साहस प्रदान करने में एक मील का पत्थर साबित होगा।
सफ़र ज़िन्दगी का खत्म होता दिखाई नहीं पड़ता
मंज़िलें आती जाती हैं मुसाफिर रुकते जाते हैं
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